bhojan mantra : हिन्दू धर्म में मंत्रो का अपना अलग महत्व होता है, इसलिए प्रत्येक भगवान के अलग अलग मंत्र उल्लेखित है| उसके साथ साथ भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए भिन्न भिन्न मंत्रो का उल्लेख पुराणों में भी मिल जाता है| लेकिन बहुत कम लोग जानते है शास्त्रों में भोजन मंत्र के बारे में भी बताया गया है|
पुराने समय में जब भी कोई इंसान भोजन ग्रहण करने के लिए बैठता था तो वो सबसे पहले भोजन मंत्र को बोलता था उसके बाद ही भोजन को ग्रहण करता था| भोजन मंत्र को बोलने का अर्थ होता है की हम अन्न देवता का आव्हान करने के साथ साथ हमे प्राप्त हुए भोजन के लिए धन्यवाद् भी कर रहे है और इस संसार में कोई भी इंसान भूखा ना रहे ऐसी कामना भी करते है|
आप और हम सभी भलीभांति जानते है की इस दुनिया में ना जाने कितने ऐसे लोग होते है जिन्हे भोजन प्राप्त नहीं होता है, लेकिन हमे भोजन की प्राप्ति हो रही है इसलिए हमे अन्न देवता को नमन और धन्यवाद् जरूर करना चाहिए| अगर आप चाहते है की आपको भोजन के सभी रसों की प्राप्ति होने के साथ साथ शरीर को भी लगे तो आपको भी भोजन करने से पूर्व भोजन मंत्र का उच्चारण जरूर करें| भोजन मंत्र निम्न प्रकार है –
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भोजन मंत्र – bhojan mantra
“ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्। ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु। मा विद्विषावहै॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥”
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