चंद्र मंत्र – chandra mantra

chandra mantra : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र देव को मन का कारक के रूप बताया गया है,चंद्रमा सुंदर और चमकीला सा दिखाई देता है और चंद्र देव को अन्य देवताओं की तरह ही पूजनीय माना जाता है| चंद्र देव के जन्म की कहानी अलग अलग पुराणों में अलग-अलग उल्लेख की गई है|

मत्स्य और अग्नि पुराण के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने का विचार किया तो सबसे पहले ब्रह्मा जी ने अपने मानसिक संकल्प से मानस पुत्रों की उत्पत्ति की,फिर एक मानस पुत्र अर्थात ऋषि अत्रि का विवाह ऋषि कर्दम की कन्या अनुसुइया से कराया गया,विवाह के बाद उन्हें तीन पुत्र प्राप्त हुए जिनके नाम दुर्वासा,दत्तात्रेय और सोम, सोम ही चन्द्र देव बने| चंद्र देव भगवान शंकर के सर पर विराजमान रहते है और वो सोलह कलाओं से परिपूर्ण भी हैं।

अन्य देवताओ की तरह ही चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए मंत्रो को भी निर्मित किया गया है,अगर किसी इंसान की कुंडली में चंद्र देव की स्थिति कमजोर होती है तो उस इंसान को मानसिक कष्टो का सामना ज्यादा करना पड़ता है| चंद्र मंत्र का जाप नियमित रूप से करने से चंद्र देव प्रसन्न हो जाते है और आपके जीवन में होने वाले मानसिक कष्टों का निवारण कर देते है| चंद्र मन्त्र निम्न प्रकार होते है –

chandra mantra

चंद्र मंत्र – chandra mantra

  1. ऊँ ऎं क्लीं सोमाय नम: ।
  2. ऊँ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नम: ।

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