swami samarth tarak mantra : जैन समाज में श्री स्वामी समर्थ अक्कलकोट महाराज जी को श्रीदत्त भगवान के अवतार के रूप में माना और जाना जाता है। श्री स्वामी जी ने समय समय पर कई लेख लिखे है जो आगे चलकर जैन समाज का मार्गदर्शन करने के काम आएं| किसी भी इंसान के जीवन में प्रकाश का दीपक गुरु के बिना नहीं जल सकता है,गुरु ही इंसान को भगवान के दर्शन या उनसे मिलने का रास्ता बताते है|
जैन समाज के लोगो का मानना है की स्वामी जी के मंत्रो का जाप करने से इंसान को ज्ञान की प्राप्ति होने के साथ साथ शारीरिक और मानसिक लाभ भी प्राप्त होता है| जैन धर्म को मानने वाले सभी इंसान ऐसा मानते है की स्वामी जी किसी भी असंभव काम को भी बहुत ही आसानी से संभव बना देते है,बस आपको सच्चे और पवित्र मन से स्वामी जी के मंत्र का जाप करना है|
सुबह जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद या शाम के समय श्री स्वामी समर्थ तारक मंत्र का जाप करने से स्वामी जी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है और भक्त के जीवन में आने वाले किसी भी प्रकार के दुःख को दूर कर देते है और भक्त का जीवन शुखमय बना देते है| स्वामी समर्थ तारक मंत्र (swami samarth tarak mantra) निम्न प्रकार है –
स्वामी समर्थ तारक मंत्र – swami samarth tarak mantra
नि:शंक हो निर्भय हो मना रे,
प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी रे,
अतर्क्य अवधुत हे स्मरणगामी,
अशक्य ही शक्य करतील स्वामी,
जिथे स्वामीपाय तिथे न्युन काय,
स्वये भक्त प्रारब्ध घडवी ही माय.
आज्ञेविन काळ ना नेई त्याला
परलोकीही ना भिती तयाला,
उगाची भितोसी भय हे पळु दे.
जवळी उभी स्वामी शक्ती कळु दे,
जगी जन्ममृत्यु असे खेळ ज्यांचा,
नको घाबरु तु असे बाळ त्यांचा.
खरा होई जागा श्रद्धेसहीत,
कसा होशी त्याविण तु स्वामीभक्त.
कितीदा दिला बोल त्यांनीच हात,
नको डगमगु स्वामी देतील साथ,
विभुती नमन नाम ध्यानादी तीर्थ
स्वामीच ह्या पंचप्राणामृतात,
हे तीर्थ घे आठवी रे प्रचिती,
न सोडी कदा स्वामी ज्या घेई हाती.
video – swami samarth tarak mantra