वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र – vakratunda mahakaya mantra

vakratunda mahakaya mantra : हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओ में से एक गणेश भगवान भी है| गणेश भगवान ने मनुष्यो की रक्षा करने के लिए अलग अलग स्वरूपों में अवतरण लिया है, वक्रतुण्ड भगवान भी गणेश जी का सबसे पहला स्वरूप है| गणेश भगवान ने अलग अलग समय पर धरती पर अलग अलग स्वरूपों में अवतरण लिया है| वक्रतुण्ड भगवान की सूंड दाईं और मुड़ी होती है और यह भी गणेश भगवान की तरह ही मोटे उदर आए है|

वक्रतुण्ड भगवान को मोदक और लड्डू सबसे ज्यादा प्रिय होते है| वक्रतुण्ड भगवान ने राक्षस मत्सरासुर का वध करने के लिए अवतरण लिया था,मत्सरासुर ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उनसे अभय होने का वरदान लिया था उसके बाद उसने देवताओ, ऋषि मुनियो को परेशान करना शुरू कर दिया था| सबसे पहले मत्सरासुर ने तीनो लोको पर कब्जा किया उसके बाद उसने कैलाश पर भी कब्जा कर लिया था|

तब गणेश भगवान को उसका वध करने के लिए वक्रतुण्ड भगवान के रूप में अवतरित होना पड़ा था और वक्रतुण्ड भगवान ने मत्सरासुर का वध करके देवताओ और मनुष्यो को राहत प्रदान की थी| वक्रतुण्ड भगवान अपने भक्तो का विशेष तोर पर ख्याल रखते है, वक्रतुण्ड भगवान के मंत्रो का जाप करने से जीवन में आने वाली परेशानी खत्म हो जाती है| वक्रतुण्ड मंत्र निम्न प्रकार है –

vakratunda mahakaya mantra

वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र – vakratunda mahakaya mantra

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

video – vakratunda mahakaya mantra

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